महाकुंभ 2025 में आयोजित सनातन-बौद्ध सम्मेलन में तीन महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किए गए, जिनमें पाकिस्तान, चीन और बांग्लादेश से संबंधित मुद्दों पर विशेष ध्यान दिया गया।
प्रस्तावों:
पाकिस्तान और बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार बंद करने की मांग: सम्मेलन में पाकिस्तान और बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदायों, विशेषकर हिंदू और बौद्ध, पर हो रहे अत्याचारों की कड़ी निंदा की गई। साथ ही, इन देशों से अपील की गई कि वे अपने अल्पसंख्यक नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करें और उनके साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार बंद करें।
तिब्बत को स्वायत्तता देने की मांग: दूसरे प्रस्ताव में तिब्बत को स्वायत्तता देने की मांग की गई, ताकि तिब्बती संस्कृति, धर्म और भाषा की रक्षा हो सके। यह कदम तिब्बतियों के अधिकारों की सुरक्षा और उनके जीवन स्तर में सुधार के लिए आवश्यक बताया गया।
सनातन और बौद्ध धर्म की एकता को बढ़ावा देने का आह्वान: तीसरे प्रस्ताव में सनातन और बौद्ध धर्म के बीच एकता और सहयोग को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर दिया गया। इससे दोनों धर्मों के अनुयायियों के बीच आपसी समझ और सम्मान बढ़ेगा, जो सामाजिक समरसता के लिए महत्वपूर्ण है।
सम्मेलन में प्रमुख हस्तियों की उपस्थिति:
इस सम्मेलन में दुनिया भर के भंते, लामा, बौद्ध भिक्षु और सनातन धर्माचार्य शामिल हुए। बुद्धं शरणं गच्छामि, धम्मं शरणं गच्छामि, संघम् शरणं गच्छामि के संदेश को जन-जन तक पहुंचाने के उद्देश्य से बौद्ध भिक्षुओं ने शोभायात्रा निकाली, जिसका समापन जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानन्द गिरि के प्रभु प्रेमी शिविर में हुआ।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के भैयाजी जोशी का वक्तव्य:
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व सरकार्यवाह भैयाजी जोशी ने कहा, “प्रयागराज महाकुंभ से संगम समागम एवं समन्वय का संदेश पूरी दुनिया में जाना चाहिए।” उन्होंने कुंभ के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह आयोजन विश्वभर में एकता और भाईचारे का प्रतीक है।
इन प्रस्तावों के माध्यम से महाकुंभ ने वैश्विक स्तर पर शांति, समरसता और मानवाधिकारों की रक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की है।